मणिपुर पर आये पीएम मोदी के बयान के बाद अभी तक क्या हुआ

      मणिपुर पर आये पीएम मोदी के बयान के बाद अभी तक क्या  हुआ        What has happened so far after PM Modi's statement on Manipur


* मणिपुर में तीन मई को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा शुरू हुई.

  *अब तक प्रदेश में हिंसा के क़रीब पांच हज़ार मामले दर्ज किए गए हैं. इन घटनाओं में अब तक 140 से अधिक जानें गई हैं, जबकि 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं.

*कांग्रेस का आरोप है कि न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार स्थिति पर नियंत्रण कर पा रही है.

*पार्टी पीएम मोदी पर इस मामले में चुप्पी साधने का आरोप लगा रही है. उसकी मांग है कि इस मुद्दे पर पीएम संसद में बयान दें.

*19 जुलाई को दो महिलाओं को निर्वसत्र कर घुमाने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया. ये घटना 4 मई की थी.

*इसके बाद 20 जुलाई को पीएम ने पहली बार संसद के बाहर मणिपुर मामले पर टिप्पणी की.

*सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा.

*8राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया और पुलिस से जल्द कार्रवाई करने को कहा.

*20 जुलाई को इस मामले में पहली गिरफ्तारी हुई और अबतक चार लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं.

*21 जुलाई को मणिपुर में कुछ महिलाओं ने इस मामले में गिरफ्तार एक अभियुक्त के घर को आग के हवाले कर दिया.

 

 



मणिपुर महिला उत्पीड़न और हिंसा के मामले में गुरुवार (20 जुलाई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुप्पी तोड़ने के बाद से राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदले हैं.


मणिपुर के थौबल ज़िले में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराने और यौन उत्पीड़न का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.

  शुक्रवार को महिलाओं के एक समूह ने इस मामले में गिरफ्तार किए गए मुख्य अभियुक्त के घर को आग के हवाले कर दिया.

 उधर केंद्र सरकार ने राज्य में सीआरपीएफ़ की तैनाती को नए सिरे से चाकचौबंद करने का फ़ैसला लिया है.


मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख़्शा नहीं जाएगा.


ये वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर नज़र आया था, जिसके बाद पूरे देश में आक्रोश फूट पड़ा.


दोनों महिलाओं के साथ ये घटना चार मई को थौबल ज़िले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस थानाक्षेत्र के बी फीनोम कुकी गांव में हुई थी.


इस मामले में पहली एफ़आईआर कांगपोकपी ज़िले में 18 मई को दर्ज कराई गई थी.


पीएम मोदी के बयान के बाद मणिपुर के इस जघन्य कांड को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ, आईए इस पर एक नज़र डालते हैं.

     महिलाओं का गुस्सा  मुख्य अभियुक्त के ख़िलाफ़ फूटा  


  शुक्रवार को कुछ महिलाओं ने मुख्य अभियुक्त हुइरेम हेरोदास मैतेई के घर को आग के हवाले कर दिया.


ये महिलाएं मणिपुर में दशकों से सामाजिक आंदोलन चला रही मैतेई महिलाओं के सबसे मजबूत संगठन मीरा पैबी से जुड़ी हुई हैं.


इनमें हुइरेम हेरोदास मैतेई की गिरफ़्तारी सबसे पहले गुरुवार सुबह आठ बजे हुई थी. यह शख़्स वीडियो में पीड़िता को पकड़े हुए नज़र आ रहा है.


गिरफ़्तारी के कुछ घंटों बाद ही मीरा पैबी संगठन से जुड़ी महिलाओं ने थौबल ज़िले के पैची गांव में स्थित अभियुक्त के घर को आग लगा दी.


इसके साथ ही गांव के लोगों ने हेरोदास को, उसके परिवार सहित पेची अवांग लीकाई इलाक़े से बाहर निकालने का फ़ैसला किया है.


पुलिस ने वीडियो रिकॉर्ड करने वाले शख़्स युमलेम्बम जीवन को भी गिरफ़्तार कर लिया है.


मीरा पैबी की एक नेता ने कहा, “चाहे मैतेई हो या अन्य समुदाय, एक महिला के रूप में किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना स्वीकार्य नहीं है. यह पूरे मैतेई समुदाय के लिए शर्म की बात है."

   कांग्रेस संसद में मोदी के बयान की मांग पर अड़ी

20 जुलाई को संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ. सत्र शुरू होने से पहले ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मणिपुर मामले में पीएम मोदी की चुप्पी को लेकर तंज कस रहे थे.


20 जुलाई को सत्र के पहले दिन पीएम मोदी ने संसद के बाहर दिए अपने बयान में मणिपुर का ज़िक्र किया, लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में पीएम मोदी के बयान पर अड़ गए. सत्र के दूसरे दिन भी वो अपनी मांग पर अड़े रहे.


भारी हंगामे के बीच दूसरे दिन भी संसद के दोनों सदनों को सोमवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.


 बीजेपी के तमाम नेता विपक्षी दलों पर सदन में बहस से बचने का आरोप लगा रहे हैं. जबकि कांग्रेस का कहना है कि पीएम मोदी को सदन में विस्तृत बयान देना चाहिए.


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है, “नरेंद्र मोदी जी, आपने कल संसद के अंदर बयान नहीं दिया. अगर आप क्रोधित थे तो आपको कांग्रेस की राज्य सरकारों से अनुचित तुलना करने की जगह मणिपुर के मुख्यमंत्री को हटाना चाहिए था.”


इसके साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “इंडिया आपसे सदन में विस्तृत बयान देने की अपेक्षा करता है. ये बयान सिर्फ़ एक घटना पर नहीं होना चाहिए बल्कि 80 दिनों से जारी हिंसा पर होना चाहिए जिसके सामने आपकी राज्य और केंद्र सरकार बेबस और निर्दयी दिखी है.”

    यौन हमले की शिकार लड़की ने क्या कहा?  

यौन हमलों की शिकार एक 19 वर्षीय युवती ने अंग्रेजी अख़बार ‘द टेलीग्राफ’ को ख़ुद पर हुए हमले का ब्यौरा दिया.


युवती के अनुसार, वो मणिपुर के एक हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट की छात्रा हैं. मैतेई समुदाय के लोगों की एक भीड़ ने चार मई को इंस्टीट्यूट पर हमला कर दिया था.


युवती ने कहा, "मुख्यमंत्री अब बयान दे रहे हैं लेकिन उसका अब कोई मतलब नहीं रह गया. क्योंकि एफ़आईआर दर्ज हुए 65 दिन हो चुके हैं और मैं अब भी न्याय के इंतज़ार में हूं."


इस मामले में युवती ने तीन ज़ीरो एफ़आईआर दर्ज कराई जिसमें एक दिल्ली के उत्तम नगर से दर्ज कराई गई.



उन्होंने बताया, "ये एफ़आईआर वहां उस पुलिस थाने को भेज दिए गए थे, जिसके दायरे में हमारा इंस्टीट्यूट आता है."


युवती ने कहा, "मैं कई दिनों तक अस्पताल में पड़ी रही लेकिन मेरा बयान रिकॉर्ड करने के लिए किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया. जबकि ये अस्पताल इंफाल में पुलिस स्टेशन से कुछ ही मीटर दूरी पर था."


                     चार मई को क्या हुआ था? 

अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यौन हमले की शिकार महिलाओं में से एक का दावा है कि ‘पुलिस ने उन्हें भीड़ को सौंप दिया था.’


युवती ने कहा कि "जब भीड़ गांव पर हमला कर रही थी तो पुलिस भीड़ के साथ वहां मौजूद थी और घर के पास से हमें उठाया गया और सड़क पर भीड़ के साथ हमें छोड़ दिया गया."


18 मई को की गई एफ़आईआर में कहा गया कि पीड़ितों में पांच लोग थे, वायरल वीडियो में दिखने वाली दो महिलाएं, 50 से अधिक उम्र की एक अन्य महिला, जिसे भी निर्वस्त्र किया गया था और इनमें सबसे कम उम्र की युवती के पिता और भाई.


युवती ने कहा कि भीड़ ने उनके पिता और भाई को वहीं मार डाला.


मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने क्या कहा?

घटना पर राज्य के मुख्यमंत्री सीएम एन बीरेन सिंह ने इस घटना को इंसानियत के ख़िलाफ़ अपराध बताया.


मुख्यमंत्री ने कहा, "इस मामले में जांच जारी है और जो लोग भी दोषी हैं, उनके ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्रवाई की जाएगी. दोषियों को मौत की सज़ा देने की संभावनाओं पर भी विचार किया जाएगा. मैं ये साफ़ कर दूं कि मणिपुर समाज में ऐसे जघन्य अपराध के लिए कोई जगह नहीं है."


उन्होंने कहा, "हम इस वीडियो की आलोचना करते हैं और इसके लिए पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करेंगे."


उन्होंने कहा, "मणिपुर में लोग महिलाओं को मां समझते हैं, लेकिन उपद्रवियों ने ऐसा काम कर हम लोगों की इज़्ज़त ख़राब की है. हम इसकी आलोचना करते हैं."


मणिपुर की राज्यपाल अनुसूइया उइके ने कहा कि अपराधियों को पकड़ने और उन्हें सज़ा देने के लिए उन्होंने डीजीपी को निर्देश दिए हैं और उन पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई के लिए कहा है जो संबंधित पुलिस स्टेशन में तैनात थे.




महिला आयोग ने क्या कहा?

राष्ट्रीय महिला आयोग ने मामले का संज्ञान लिया है और ट्विटर को इसके वीडियो अपने प्लेटफॉर्म से हटाने के निर्देश दिए हैं.


इस बारे में आयोग ने ट्विटर के पब्लिक पॉलिसी विभाग को औपचारिक रूप से निर्देश दिए हैं.


महिला आयोग का कहना है कि इस वीडियो से पीड़िता की पहचान ज़ाहिर हो रही है और ये दंडनीय अपराध है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 28 जुलाई शुक्रवार को सुनवाई करेगा.


चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिए और एक्शन लेना चाहिए. ये पूरी तरह अस्वीकार्य है. ये घटना बेहद परेशान करने वाली है. ये संविधान और मानवाधिकारों का उल्लंघन है."


बीबीसी के सहयोगी पत्रकार सुचित्र मोहंती ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने केंद्र और मणिपुर सरकार से इस मामले में क्या कदम उठाए गए, इस बारे में 28 जुलाई तक बताने के लिए कहा है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सरकार बताए कि ऐसी घटनाएं फिर ना हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए.''


चंद्रचूड़ ने कहा कि वीडियो भले ही मई को हो पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.


क्यों शुरू हुई हिंसा?
तीन मई को राज्य के कुकी और दूसरे जनजातीय समुदाय ने एक रैली निकाली.

ये रैली मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्ज़ा दिए जाने की मांग के ख़िलाफ़ निकाली गई थी.

रैली के बाद हिंसा भड़की. सबसे प्रभावित इलाका चुराचंद्रपुर था, जहां रैली और प्रदर्शन हुए थे.

इसके बाद ये हिंसा राजधानी इम्फाल तक पहुंच गई और वहां कई घर और चर्चों को जला दिया गया.

इन हमलों के बाद मैतेई बहुल इलाकों में रहने वाले कुकी और कुकी बहुल इलाकों में रहने वाले मैतेई अपना-अपना घर छोड़कर जाने लगे.
प्रदेश में सरकार किसकी?
बीते साल हुए विधानसभा चुनावों में यहां बीजेपी को 60 में से 32 सीटों पर जीत मिली थी और उसे पूर्ण बहुमत में आ गई थी.

वहीं कांग्रेस जो इससे पहले 28 सीटें जीती थी, केवल 5 सीटों पर सिमट गई.

इन चुनावों में मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अध्यक्षता वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 7 सीटों पर जीत हासिल की और नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को पाँच सीटें मिलीं.
कौन हैं मैतेई और कुकी?
मणिपुर में मुख्य तौर पर तीन समुदाय के लोग रहते हैं. मैतेई और जनजातीय समूह कुकी और नगा.

पहाड़ी इलाक़ों में कुकी, नगा समेत दूसरी जनजाति के लोग रहते हैं, जबकि इंफ़ाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई लोग रहते हैं.

मैतेई समुदाय के ज़्यादातर लोग हिंदू हैं, तो नगा और कुकी समुदाय के लोग मुख्य तौर पर ईसाई धर्म के हैं.

जनसंख्या में ज़्यादा होने के बावजूद मैतेई मणिपुर के 10 प्रतिशत भूभाग में रहते हैं जबकि बाक़ी के 90 प्रतिशत हिस्से पर नगा, कुकी और दूसरी जनजातियां रहती हैं.

मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटों में 40 पर मैतेई जातीय समूह का नियंत्रण है जबकि उनकी आबादी 53 फीसदी है.

मणिपुर के मौजूदा जनजाति समूहों का कहना है कि मैतेई का जनसांख्यिकी और सियासी दबदबा है. इसके अलावा ये पढ़ने-लिखने के साथ अन्य मामलों में भी आगे हैं.

उनका मानना है कि अगर मैतेई को भी जनजाति का दर्जा मिल गया तो उनके लिए नौकरियों के अवसर कम हो जाएंगे और वे पहाड़ों पर भी ज़मीन ख़रीदना शुरू कर देंगे. ऐसे में वे और हाशिए पर चले जाएंगे.

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